प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी व भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अमित शाह जी ने अपने सभी साक्षात्कारों और भाषणों में राम मंदिर के मुद्दे पर पूछे गए सवालों पर हमेशा कहा है कि उनकी सरकार राम मंदिर का निर्माण करने के लिए प्रतिबद्ध है। सर्वोच्च न्यायलय के निर्णय के बाद जो राम मंदिर निर्माण के लिए उचित होगा वो मोदी सरकार करेगी।

इसी मुद्दे पर कल मोदी सरकार द्वारा सर्वोच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की गई जिसमे सर्वोच्च न्यायालय से गुहार लगायी गई है की विवादित जमीन को छोड़कर जो जमीन निर्विवादित हैं उस जमीन को उनके भूमि मालिकों को वापस लौटा दी जाये। 67 एकड़ जमीन में से 42 एकड़ जमीन राम जन्मभूमि न्यास की हैं। सरकार सभी भूमि मालिकों को भूमि लौटा कर उस स्थान पर राम मंदिर बनाना चाहती हैं।

इस याचिका की आवश्यकता क्यों पड़ी?

भाजपा सरकार ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में राम मंदिर के निर्माण का वादा किया था। आगामी लोकसभा चुनाव, संतो एवं भाजपा के कट्टर हिंदूवादी समर्थकों को ध्यान में रखते हुए मोदी सरकार ने यह बीच का रास्ता निकाला हैं। अपनी इस मांग से मोदी सरकार ने अपने समर्थको एवं साधु संतो को साधने की कोशिश की है। इससे सभी राम भक्तो को ये राजनैतिक संदेश दिया है कि सरकार को उनकी भावनाओं की कदर हैं।

इस पूरे मुद्दे और केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि मोदी सरकार चाहती हैं कि 0.313 एकड़ की विवादित जमीन को छोड़कर बाकी जमीनों को उनके मालिक को वापस सौंप देना चाहिए और जो राम जन्मभूमि न्यास के पास 42 एकड़ जमीन हैं उस पर राम मंदिर का निर्माण होना चाहिए। राम जन्मभूमि न्यास के पास जो 42 एकड़ जमीन हैं उसमे करीब 2.7 एकड़ जमीन वह भी हैं जहाँ अभी प्रभु श्री राम विराजमान है।

उपरोक्त मुद्दे पर मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ट्वीट के माध्यम से इस निर्णय का स्वागत किया हैं।