केरल में चर्च में यौन उत्पीड़न के कई मामले पिछले कुछ सालों में सामने आये हैं। यौन उत्पीड़न के आरोपी केरल के बिशप फ्रैंको मुलक्कल के विरुद्ध खड़ी होने वाली नन लूसी कलाप्पुरा ने अपनी आत्मकथा लिखी है जिसमे उन्होंने बिशप और पादरियों के द्वारा यौन उत्पीड़न करने के कई वाक्यों के बारे में विस्तार से लिखा है।

बता दें कि नन लूसी की आत्मकथा का नाम ‘कार्ताविन्ते नामाथिल’ है जिसका हिंदी अनुवाद 'भगवान के नाम पर' होगा। सोमवार को अपनी इसी आत्मकथा के बारे में बात करते हुए नन लूसी ने कई बातें बताई। उन्होंने इस दौरान उन खौफनाक घटनाओं का जिक्र किया जिससे वे कभी गुजर चुकी हैं। उन्होंने बताया की लोग बिशप और पादरियों इन हरकतों के बारे में जानने के बाद भी कुछ नहीं करते थे।

नन लूसी ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि, “मैंने आत्मकथा में 2000-03 के दौरान अपनी जिंदगी के बारे में लिखा है। तब ईसाई धार्मिक सभाओं द्वारा ननों का मानसिक उत्पीड़न किया गया। मुझे लगता है कि इन बातों को रिकॉर्ड में रखना बेहतर होगा। इसलिए मैंने 2004 में थोड़ा-थोड़ा लिखना शुरू किया।”

लूसी ने इस बारे में आगे बताया कि, “चर्च के बड़े अधिकारी पहले जहां सिस्टर का समर्थन करते थे, लेकिन अब वे भी आरोपियों का साथ देने लगे थे। यह जीसस क्राइस्ट की शिक्षा के बिल्कुल खिलाफ है। यह मुझे तकलीफ देती थी और मुझे लगता था कि इसे प्रकाशित किया जाना चाहिए कि आखिरकार हमारे आसपास हो क्या रहा है?”

गौरतलब है की जब सिस्टर लूसी ने इन बातों का खुलासा किया तो उन्हें फ्रांसिस्कन क्लैरिस्ट कॉन्ग्रेगेशन (धर्मसभा) ने नियमों का उल्लंघन करने के आरोप में इसी साल अगस्त महीने में निलंबित कर दिया था। इसके साथ उन पर ही कई आरोप लगा दिए गए थे।