अयोध्या में बाबरी मस्जिद और राममंदिर मामले पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पूर्व जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने कहा है कि कोर्ट का जो भी फैसला होगा मुसलमान उसे स्वीकार करेंगे। उन्होंने कहा कि कानून, बाबरी मस्जिद और न्याय की दृष्टि में एक मस्जिद थी वह करीब 400 साल तक मस्जिद थी, इसलिए शरीयत के लिहाज से वो आज भी एक मस्जिद है और कयामत तक मस्जिद ही रहेगी।
अरशद मदनी ने आगे कहा कि अयोध्या पर साक्ष्यों और सबूतों के आधार पर सुप्रीम कोर्ट जो भी निर्णय लेगा हम उसे स्वीकार करेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि हमें आशा है कि यह फैसला हमारे पक्ष में आएगा। अरशद मदनी ने कहा कि बाबरी मस्जिद का मामला सिर्फ भूमि का नहीं बल्कि यह मुकदमा देश के दस्तूर और कानून का है।
जमीयत के प्रमुख ने कहा कि 400 साल से अयोध्या में बाबरी मस्जिद थी और कयामत तक यह मस्जिद ही रहेगी। उसे सत्ता और ताकत के दम पर कोई भी स्वरूप दिया जाए किसी पार्टी या व्यक्ति का यह अधिकार नहीं है कि मस्जिद के दावे से किसी विकल्प के उम्मीद में पीछे हट जाए। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट साक्ष्य और सबूत के आधार पर जो भी फैसला देगा उसे हम स्वीकार करेंगे।
मौलाना अरशद मदनी ने आगे कहा कि गृह मंत्री अमित शाह ने एनआरसी के मुद्दे पर कोलकाता में जो बयान दिया था कि मुसलमानों को छोड़कर सबको नागरिकता देंगे। हम इसकी निंदा करते है। उन्होंने यह भी कहा कि देश के गृह मंत्री को इस तरह का बयान नहीं देना चाहिए। कहा कि किसी के साथ धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं होना चाहिए।