बॉलीवुड के सुपरस्टार अमिताभ बच्चन को जवानी के दिनों में जबरदस्त सफलता मिली थी। 90 के दशक में उनका स्टारडम कम हुआ, पर जब साल 2000 में उन्होंने मोहब्बतें फिल्म से वापसी की तो उसके बाद उन्होंने फिर एक बार वही रूतबा हासिल कर लिया। कुछ इसी प्रकार की कहानी महाराष्ट्र के बड़े नेता शरद पवार की भी है। शरद पवार ने एक वक़्त महाराष्ट्र की राजनीति को अपनी मुट्ठी में कर लिया था पर पिछले कुछ सालों में उनकी पकड़ महाराष्ट्र की राजनीति से कमजोर हो गई थी। इस साल जब विधानसभा चुनावों के लिए प्रचार चल रहे थे तब 80 साल के शरद पवार की बारिश में भीगते हुए भाषण देते समय की तस्वीर वायरल हुई थी। इस तस्वीर ने उनके प्रति एक सकारात्मकता मतदाताओं के बीच फैलाई और उसी का नतीजा था की उनकी पार्टी को 54 सीटें मिली और साथ ही सत्ता की चाभी भी उनके पास आ गई।
शरद पवार की उम्र काफी ज्यादा हो गई है पर जिस प्रकार से उन्होंने महाराष्ट्र के वर्तमान राजनीतिक संग्राम का नेतृत्व किया वो उनकी जिजीविषा को प्रदर्शित करता है। अपने भतीजे के बगाबत कर देने के बाद भी खुद को संयमित रखना और अपने सभी विधायकों को अपने साथ खड़े कर लेना इस उम्र में बहुत बड़ी बात है। अजित पवार की पकड़ भी पार्टी पर मजबूत है पर जब उन्होंने शरद पवार से बगाबत की तो सारे विधायक अजित के बजाय शरद पवार के साथ नजर आये।
शरद पवार ने ना सिर्फ अपनी पार्टी को संगठित किया बल्कि शिवसेना और कांग्रेस जिनका एक दूसरे के साथ 36 का आंकड़ा था को गठबंधन के लिए राजी कर लिया। बहरहाल चुनौतियाँ अब काम नहीं है शरद पवार की राहों में। तीन दलों के गठबंधन की सरकार पांच साल चलाना बहुत मुश्किल है। वैसे भी महाराष्ट्र का तो इतिहास रहा है काम वक़्त पर सरकारों के गिर जाने का।
अब ऐसी परिस्थिति में शरद पवार शिव सेना, कांग्रेस और एनसीपी की सरकार बना पाते हैं और फिर इसे पांच साल चला पाते हैं तो फिर शरद को कम से कम महाराष्ट्र की राजनीति में कभी भुलाया नहीं जाएगा।