एक जुलाई से पवित्र अमरनाथ यात्रा जम्मू-कश्मीर में शुरू हो गई है। इस यात्रा के लिए सरकार ने पुख्ता इंतज़ाम किये है। इसमें जम्मू-कश्मीर सरकार, केंद्रीय गृह मंत्रालय, सुरक्षाबल शामिल है। इस बार घाटी में आतंकियों के खात्मे के लिए के चल रहे ऑपरेशन ऑलआउट को ध्यान में रखकर अमरनाथ यात्रा की सुरक्षा में अधिक सतर्कता बरती जा रही है।

आतंक के कारण इस यात्रा में खतरा ज्यादा हो जाता है। जिसके लिए सरकार को शांतिपूर्वक यात्रा कराने हेतु सुरक्षा कर्मियों की संख्या बढ़ानी होती है।

बता दें कि इस साल एक लाख से भी ज्यादा तीर्थयात्री 3,880 मीटर ऊंचाई पर स्थित अमरनाथ गुफा के दर्शन करने वाले है। जिसके कारण तीर्थयात्रियों की सुरक्षा हेतु 40,000 से ज्यादा राज्य पुलिस कर्मी और सीआरपीएफ को तैनात किया गया है।

पुलवामा हमले के बाद से बौखलाए हुए आतंकी अमरनाथ यात्रा को निशाना बनाने की ताक में है। जबकि आतंक का सफाया सूबे से बहुत तेजी से हो रहा है। बता दें कि पिछले साल 257 की अपेक्षा इस वर्ष अब तक करीब 115 आतंकवादी को सुरक्षा बलों ने ढेर कर दिया है। साथ ही सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार जम्मू-कश्मीर में अभी भी लगभग 290 आतंकवादी एक्टिव है।

जानकारी दे दें कि 1850 में 1 मुस्लिम चरवाहे बूटा मलिक ने अमरनाथ गुफा खोजी थी। मलिक का परिवार सहित हिंदू श्राइन बोर्ड मंदिर का संरक्षक है।  जम्मू-कश्मीर विधानसभा द्वारा श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड अधिनियम 2000-01 में पारित किया गया।  इस अधिनियम के मुताबिक राज्य के राज्यपाल समेत 1 तीर्थ मंडल को बोर्ड का अध्यक्ष बनाया गया। यह बोर्ड तीर्थयात्रियों के लिए सुविधाओं में सुधार करने और तीर्थयात्रा को सुव्यवस्थित करने के लिए धर्मस्थल का संरक्षक है।