पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में स्थित मां शारदा पीठ शक्ति स्थल पर 72 साल बाद पहली बार किसी हिंदू श्रद्धालु ने जाकर पूजा-अर्चना की। ये हिंदू श्रद्धालु हैं भारतीय मूल के हॉन्ग कॉन्ग के दंपती केपी वेंकटरमन और उनकी पत्नी सुजाता। इस दंपती को खंडहर हो चुके शारदा पीठ तक पहुंचने में कई परेशानियों का सामना करना पड़ा। पाकिस्तान ने पहले तो भारतीय मूल का होने के कारण दंपती को शारदा पीठ तक जाने की अनुमति ही नहीं दी। लेकिन कई दिन की पूछताछ के पश्चात एनओसी जारी की गयी।
माता के सभी शक्ति पीठ के दर्शन कर चुके इस दंपती को हाल ही में सोशल मीडिया से जानकारी मिली कि एक शक्ति पीठ पीओके में भी है। आज़ादी के बाद से यहां आज तक कोई नहीं जा सका। दंपती ने ट्विटर के द्वारा ‘सेव शारदा समिति कश्मीर’ के फाउंडर रविंद्र पंडित से संपर्क किया और उनके जरिए जानकारी एकत्रित किया।
शारदा की यात्रा के लिए 30 सितंबर को वैध वीजा पर दंपती पाकिस्तान के मुजफ्फराबाद पहुंचे। शारदा पीठ तक पहुंचाने के लिए दो स्थानीय निवासियों ने इनकी सहायता की। पीओके जाने के लिए एनओसी की आवश्यकता थी। दंपती ने अपने यात्रा दस्तावेजों के साथ सरकार को मुजफ्फराबाद में दलील दी कि वह हॉन्गकॉन्ग निवासी हैं और वह वहां से आए हैं। डॉक्युमेंट्स की पुष्टि होने के पश्चात पीओके के पीएम ने इस मसले में दखल दिया और अंत में दंपती को एनओसी जारी हुई।
Save Sharda Committee has been working tirelessly to restart Puja at Sharda Peeth on the bank of Kishanganga river in Jammu and Kashmir.
— Kiran Kumar S (@KiranKS) October 7, 2019
It has small, but valuable support from both Indian and Pakistani sides. One day soon, the majestic Sharada puja will restart.
2019 a start! pic.twitter.com/4sndALC9sX
उन्हें पाकिस्तान के कब्जे वाले किशनगंगा नदी के पास तट पर जाने की भी अनुमति दी गई, जहां पर वह 4 अक्टूबर को पूजा कर सके। बता दें कि पूरी तरह से शारदा मंदिर खंडहर हालत में है।