लैंडर विक्रम पर सभी की निगाहें टिकी हुई थी लेकिन शनिवार तड़के सभी की सांस तब रुक गई जब चंद्रमा के सतह से केवल दो किलोमीटर पहले ही लैंडर विक्रम से इसरो का संपर्क टूट गया। चांद की सतह छूने से भारत के चंद्रयान-2 का मिशन चूक गया। परन्तु इससे वैज्ञानिकों का हौसला नहीं टूटा है। इसरो के वैज्ञानिकों का हौसला बढ़ाते हुए पीएम मोदी ने कहा- "विज्ञान में विफलता होती नहीं है, प्रयोग और प्रयास रहते हैं बस।" पीएम मोदी की बात बिलकुल सही है। बड़े बड़े देश भी मून मिशन में फेल हुए हैं।
बता दें कि, यदि चंद्रयान 2 चांद की सतह पर उतरता तो ऐसा करने वाला भारत चौथा देश बन जाता। दुनिया के केवल 3 और देशों को ही ये सफलता मिली सकी है। भारत से पूर्व चांद पर अमेरिका, रूस और चीन ने अपने यान भेजे हैं। चांद के साउथ पोल पर उतरने वाला भारत पहला देश होता।
बताते चले कि पांच महीने पहले अप्रैल में इजरायल का चंद्र अंतरिक्ष यान बेरेशीट चांद पर लैंडिग का प्रयास करते समय इंजन खराब होने की वजह से पृथ्वी से संपर्क टूट गया गया था और वह दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। अंतरिक्ष यान का संपर्क चन्द्रमा पर उतरने के अंतिम चरण में पृथ्वी पर स्थित नियंत्रण कक्ष से टूट गया। इजरायल ने उसके कुछ ही देर पश्चात् मिशन को असफल घोषित कर दिया गया था। इजराइल ने 22 फरवरी 2019 को अपना चंद्र अंतरिक्ष यान लॉन्च किया था।
चंद्रमा पर अब तक कुल 109 मिशन हो चुके हैं जिसमें 41 असफल हुए है। अब मिशन की संख्या 110 हो गयी है। जिसमें से असफल प्रयास की संख्या 42 हो गयी है। आंकड़ों के मुताबिक अभी चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिग के लिए कुल 38 बार प्रयास किया गया है। जिसमें से 52 फीसदी प्रयास सफल रहे है।