चंद्रयान-2 (Chandrayaan-2) के लैंडर विक्रम से संपर्क टूट जाने के बाद ऑर्बिटर ने चंद्रमा की सतह पर लैंडर 'विक्रम' की थर्मल तस्वीरें ली थी जिससे उसकी लोकेशन पता चली। ISRO के साइंटिस्ट दिन रात कोशिश कर रहे हैं की विक्रम से संपर्क हो जाए। क्या लैंडर विक्रम से कॉनटैक्ट करने के लिए कोई डेड लाइन भी है? ये वो सवाल है जिसके जवाब का पूरी दुनिया को इंतज़ार है।

दरअसल, विक्रम के टेढ़े लैंड होने की वजह से उसका कम्युनिकेशन एंटीना दब चुका है जिसके कारण उससे सम्पर्क कर पाना मुश्किल हो गया है। विक्रम से संपर्क करने के लिए इसरो कर्नाटक के एक गांव बयालालु से 32 मीटर के एंटीना का इस्तेमाल कर रहा है। इसका स्पेस नेटवर्क सेंटर बेंगलुरु में है। इसरो कोशिश कर रहा है कि ऑर्बिटर के जरिये विक्रम से संपर्क किया जा सके।

चंद्रयान 2 चन्द्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंड किया है। ग़ौरतलब है कि आजतक किसी भी देश ने चन्द्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर स्पेसक्राफ्ट को लैंड नहीं किया है। बता दें की चांद की सतह पर सबसे खतरनाक ठंड होती है। खास कर साउथ पोल में तो तापमान माइनस 200 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है।

ISRO के पास इस मिशन को पूरा करने और सम्पर्क करने के लिए  21 सितंबर तक ही समय है। इसके बाद लूनर नाइट की शुरुआत हो जाएगी। 14 दिन तक ही विक्रम को सूरज की रोशनी मिलेगी।उसके बाद वंहा अंधेरा हो जाएगा। जिसके बाद संपर्क कर पाना बहुत मुश्किल हो जायेगा।