स्कूलों द्वारा फीस न लिया जाना एक अच्छी बात है। परन्तु एक स्कूल ऐसा सामने आया है जो की फीस तो नहीं लेता लेकिन उसके बदले बच्चों से प्लास्टिक कचरा लेता है। जी हाँ यह स्कूल असम की राजधानी गुवाहाटी में है। इस स्कूल में वह बच्चे पढ़ते है जो की आर्थिक रूप से कमजोर है। यहाँ ऐसे बच्चों की संख्या 100 से ज्यादा है। बता दें की यह स्कूल बच्चों को प्लास्टिक से होने वाले दुष्प्रभाव के प्रति भी सजग कर रहा है और उन्हें जागरूक बना रहा है।

इस स्कूल का नाम ‘अक्षर’ है जिसे 2016 में परमिता शर्मा और माजिन मुख्तर ने आरंभ किया था। इस स्कूल में आर्थिक रूप से कमजोर 110 बच्चे पढ़ने आते हैं। इन बच्चों से स्कूल फीस नहीं लेता बल्कि हर हफ्ते फीस के रूप में प्लास्टिक के पुराने और खराब हुए 10 से 20 सामान लिए जाते है। इतना ही नहीं वह उन्हें प्लास्टिक को ना जलाने की सलाह भी देते है।

इस स्कूल में एडमिशन के लिए किसी भी प्रकार की कोई उम्र की सीमा तय नहीं है। केवल  एडमिशन के समय टेस्ट के आधार पर बच्चों का लेवल देखा जाता है। साथ ही हर शुक्रवार को इस स्कूल में टेस्ट होता है।

स्कूल के परिसर में ही बेकार प्लास्टिक से बच्चों ने इको ब्रिक्स का निर्माण किया है साथ ही इन इको ब्रिक्स की मदद से पौधों के लिए सुरक्षा घेरे का भी निर्माण किया है। स्कूल के बच्चों को यहाँ पर्यावरण को सुरक्षित रखने के तरीके भी बताये जाते है। प्लास्टिक पर्यावरण के लिए किस तरह हानिकारक है इस बात के लिए भी वहां बच्चों को जागरूक किया जाता है। ताकि वह कम से कम प्लास्टिक का उपयोग करे।

असम के इस स्कूल की तरह ही अन्य स्कूलों को भी अपना दायित्व निभाना चाहिए तभी हम पर्यावरण को और खुद को सुरक्षित रख सकते है।