अगर देश का कोई नागरिक देश का राष्ट्रगान गाने को या फिर फिर वन्दे मातरम बोलने को अपने धर्म के खिलाफ मानता हो तो भला ऐसे इंसान को इस देश का नागरिक कहलाने का क्या हक़ है? वो भी सिर्फ इसलिए क्योंकि वन्दे मातरम का मतलब होता है भारत माता की वन्दना करना!
आइये पूरा मामला क्या है हम आपको बताते है।
बिहार के कटिहार जिले के मनिहार प्रखंड के अब्दुल्लापुर प्राथमिक विद्यालय के एक प्राचार्य अफ़जल हुसैन ने ‘वन्दे मातरम’ गाने से साफ इनकार कर दिया। शिक्षक ने कहा कि वह सिर्फ़ और सिर्फ़ अल्लाह के सामने सर झुका सकता है, और कहीं भी नही। वो वन्देमातरम इसलिए नही गाना चाहता था क्योंकि उसके अनुसार ‘वन्दे मातरम’ का मतलब भारत माता की वन्दना करना होता है और वो एक मुस्लिम होने के नाते सिर्फ अल्लाह के सामने सिर झुका सकता है और किसी के सामने नही।
Katihar:Scuffle broke out when a primary school teacher Afzal Hussain refused to sing 'Vande Mataram' on Jan 26;Hussain says,"We worship Allah & Vande Mataram means 'vandana'(worship) of Bharat which is against our belief.Constitution doesn't say it's necessary to sing it".#Bihar pic.twitter.com/JjyEWpGRGt
— ANI (@ANI) February 7, 2019
इतना ही नही इस शिक्षक का ये भी कहना है की भारत के संविधान में भी ये नही लिखा है कि ‘वन्दे मातरम’ गाना अनिवार्य है। उसने कहा कि राष्ट्रगान भारत माता की पूजा है, जो कि इस्लाम के ख़िलाफ़ है।
ऐसे शिक्षक के होते हुए भला देश के बच्चों में भारत माता के लिए सम्मान कहाँ से आएगा? जो शिक्षक खुद अपने राष्ट्रगान को गाना अपने धर्म के खिलाफ समझता हो वो बच्चों को राष्ट्र धर्म की क्या शिक्षा देगा। जहाँ एक तरफ हमारे देश में कई लोगो के लिए राष्ट्र धर्म पहला धर्म है उसके बाद कोई और कोई धर्म ये शिक्षा दी जाती है ऐसे में अगर कोई भी नागरिक अपने राष्ट्रगान के लिए ऐसी सोच रखता हो तो ये राष्ट्रद्रोह से कम नही है। ऐसे नागरिक को भारत में रहने का ही हक नही होना चाहिए। सबसे पहले तो शिक्षक महोदय आप ये बताइए की इस्लाम के धर्म में ये कहाँ लिखा ही की राष्ट्रगान गाना इस्लाम के खिलाफ है?