पनडुब्बी INS खंडेरी दुश्मनों पर बन कर टूटेगी कहर, खामोशी से वार करने में सक्षम 'साइलेंट' किलर

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Prabhat Sharma
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पनडुब्बी INS खंडेरी दुश्मनों पर बन कर टूटेगी कहर, खामोशी से वार करने में सक्षम 'साइलेंट' किलर

दुश्मनों के छक्के छुडाने के लिए भारतीय नौसेना की पनडुब्बी INS खंडेरी पूरी तरह बनकर तैयार हो चुकी है। इस पनडुब्बी को कड़ी मेहनत और तमाम टेस्ट‍िंग से गुजरकर पुरे दस साल का समय लगा है तब जाकर अभेद्य और अखंड क्षमता वाली पनडुब्बी तैयार हुयी है।  आइए जानते है इससे जुड़ी कुछ खास बातें…

ये पनडुब्बी समुद्र में पूरे 40 से 45 दिन तक रहकर 12 हजार किमी जाने की क्षमता रखती है। अब ये पनडुब्बी भारतीय नौसेना में शामिल हो चुकी है। जो कि देश की अखंड ताकत का दुश्मन को भी अहसास करा देगी। बता दें कि इससे पहले भारतीय नौसेना में कलवरी स्कॉर्पीन श्रेणी की पहली पनडुब्बी थी। फिर INS खंडेरी के निर्माण की प्रक्रिया शुरू हुई। नौसेना पिछले 2 साल से INS कलवरी का उपयोग कर रही है। इस पनडुब्बी से सीख लेकर अब और बेहतर व अत्याधुनिक पनडुब्बी निर्मित की गई है।

इस पनडुब्बी की चौड़ाई 12.3 मीटर और लंबाई लगभग 67.5 मीटर है। ये समुद्र में 350 मीटर की गहराई तक गोता लगाने की क्षमता रखती है। इसके अतिरिक्त यह पूरी तरह शांत रहती है। जब यह पानी के भीतर चलती है तो समुद्र की ऊपरी परत पर किसी प्रकार की हलचल भाप पाना मुश्किल होता है।

इसमें 1250 किलोवाट के दो डीजल इंजन हैं और 6 टॉरपीडो ट्यूब हैं, इससे 2 ट्यूब मिसाइल दाग सकते हैं, साथ ही 12 टॉरपीडो भी रख सकते हैं।  पनडुब्बी में 360 बैटरियाँ हैं जिसमे प्रत्येक बैटरी का वजन 750 किग्रा है। इसमें उपस्थित परमानेंटली मैग्नेटाइज्ड प्रोपलसन मोटर की वजह से पनडुब्बी समुद्र में एकदम शांत रहती है।

बता दें कि 7 अप्रैल 2009 को इस पनडुब्बी का निर्माण मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड में शुरू हुआ था। इसे 12 जनवरी 2017 में लांच किया गया, उसके बाद इसका नामकरण किया गया।  1 जून 2017 से इसका समुद्री परीक्षण शुरू किया गया। इसके बाद हथियारों की टेस्टिंग व अन्य परीक्षण के पश्चात् इस पनडुब्बी को नौसेना को सौंपा गया।

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