श्रीलंका में हाल ही में संपन्न हुए राष्ट्रपति पद के चुनावों में चुने गए गोटाबाया राजपक्षे राष्ट्रपति के तौर पर अपनी पहली विदेश यात्रा पर भारत आने वाले हैं। भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने श्रीलंका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति गोटाबाया को भारत यात्रा का निमंत्रण दिया था जिसे गोटाबाया ने सहर्ष स्वीकार किया और आगामी 29 नवंबर को वे भारत यात्रा पर पहुँचने वाले हैं।
बता दें की राष्ट्रपति के तौर पर यह गोटाबाया राजपक्षे की पहली विदेश यात्रा होगी। भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कोलंबो में गोतबाया के साथ मीटिंग की और इसकी पूरी जानकारी उन्होंने ट्वीट के माध्यम से साझा की।
A warm meeting with Sri Lanka President @GotabayaR. Conveyed PM @narendramodi’s message of a partnership for shared peace, progress, prosperity & security. Confident that under his leadership, #IndiaSriLanka relations would reach greater heights. pic.twitter.com/pDxZf0ZM3A
— Dr. S. Jaishankar (@DrSJaishankar) November 19, 2019
मंगलवार को एस जयशंकर अचानक अघोषित यात्रा पर श्रीलंका पहुँच गए और गोतबाया से मुलाकात की। प्रधानमंत्री मोदी ने रविवार को ही गोतबाया को बधाई संदेश दिया था साथ ही उन्हें भारत आने का न्यौता दिया था। एस जयशंकर ने ट्वीट के माध्यम से बताया की गोटाबाया राजपक्षे ने पीएम मोदी का न्योता स्वीकार कर लिया है।
President @GotabayaR has accepted PM @narendramodi’s invitation to visit India on 29th November.
— Dr. S. Jaishankar (@DrSJaishankar) November 19, 2019
गौरतलब है की सात महीने पहले ईस्टर के मौके पर इस्लामी चरमपंथियों द्वारा चर्च में किए गए सिलसिलेवार बम धमाकों के बाद श्रीलंका की बदली बदली फिजा में गोटाभाया राजपक्षे के राष्ट्रपति चुने जाने से श्रीलंका के मुस्लिम समुदाय के लोग खुश नहीं हैं। इस डर के पीछे की वजह स्थानीय मुसलमानों द्वारा गोटाभाया राजपक्षे को उदार नहीं मानना है।
श्रीलंकाई मुसलमान सरेआम बोलने से घबराते हैं लेकिन वो विश्वास से कहते हैं कि वो राजपक्षे की जीत से डरे हुए हैं। उनके अनुसार राजपक्षे बहुसंख्यक बौद्ध समुदायों के हितों को बढ़ावा देते नज़र आए हैं। गोटाभाया के आलोचक उन पर मुस्लिम विरोधी चरमपंथियों को बचाने का आरोप लगाते हैं।