कांग्रेस की नई महासचिव प्रियंका वाड्रा और बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी में क्या हैं समानताएं!

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Rishabh Verma
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कांग्रेस की नई महासचिव प्रियंका वाड्रा और बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी में क्या हैं समानताएं!

किसी की भी तुलना करना अच्छी बात नहीं होती है पर यह मानव की प्रकृति है की वे भूत वर्तमान और भविष्य के कालखंडों की आपस में तुलना करते रहते हैं। इसी मानवी प्रकृति के अंतर्गत अगर कांग्रेस की नई महासचिव प्रियंका वाड्रा जी की तुलना बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी जी से करें तो आपको कई समानताएं देखने को मिलेंगे।

अब तक आपको यह पता चल ही गया होगा की बुधवार को अचानक से कांग्रेस पार्टी ने अपने तुरुप के पत्ते को राजनीति के मैदान में खेल दिया है। जी हाँ मैं प्रियंका वाड्रा जी के सक्रिय राजनीति में पदार्पण की बात कर रहा हूँ। कुछ ऐसा ही पदार्पण साल 1997 में बिहार की राजनीति में राबड़ी देवी जी का भी हुआ था। दरअसल बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू यादव जी चारा घोटाले के अंतर्गत जब पहली बार जेल जाने वाले थे तब उन्होंने अपनी कुर्सी पर अपनी पत्नी राबड़ी देवी जी को बैठा दिया था।

आप यहाँ कह सकते हैं प्रियंका के पति तो राजनीति में नहीं हैं तब उनकी तुलना लालू जी से कैसे हो सकती है? आप सही है की रॉबर्ट वाड्रा राजनीति में नहीं हैं पर उनपर जमीन से जुड़े कई मामले में संलिप्तता की खबरें आये दिन सामने आती रहती है। राजस्थान से ले कर हरियाणा तक में उनके द्वारा किये गए जमीन सम्बन्धी फर्जीवाड़े मीडिया की सुर्ख़ियों में रहते हैं। इस लिहाज से रॉबर्ट वाड्रा की तुलना चारा घोटाले के मुख्य गुनहगार लालू जी से करने में कोई है तौबा की बात नहीं होनी चाहिए। क्या पता भविष्य में रॉबर्ट वाड्रा को भी लालू जी की तरह जेल में वक़्त गुज़ारने को मजबूर होना पड़ जाए। शायद इसी भविष्य को देख कर उन्होंने प्रियंका को राजनीति में आने को कहा हो ताकि फेल हो चुके साले साहब राहुल गांधी से इतर वे कांग्रेस में जान फूंक पाएं और कांग्रेस को पुनः सत्ता के शिखर तक पहुंचा पाएं।

ये तो सबको पता ही है की जो व्यक्ति सत्ता के शिखर पर होता है उसपर से सारे पुराने आरोप ‘चाहे पिछले दरवाज़े से हो या सामने के दरवाज़े से’ खत्म कर ही दिए जाते हैं। ऐसे में रॉबर्ट वाड्रा के जमीन सम्बन्धी फर्जीवाड़े और सोनिया तथा राहुल के नेशनल हेराल्ड तथा अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर घोटाले के मालों को एक झटके में खत्म करवाने का सबसे अच्छा और कारगर तरीका होगा सत्ता पर आसीन हो जाना। इसी आकांक्षा के साथ कांग्रेस पार्टी ने ये तुरुप का पत्ता आखिर खेल ही दिया है। अब यह देखना दिलचस्प होगा की प्रियंका कहाँ तक अपने विरोधियों का मुकाबला कर पाती है।

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