लोकसभा में पास होने के बाद पिछले बुधवार को राज्यसभा में भी नागरिकता संशोधन बिल (Citizenship Amendment bill) आसानी से पास हो गया था। गुरूवार को इस बिल पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने अपनी मंजूरी देकर इसे एक कानून की शक्ल दे दी है।
ग़ौरतलब है की इस बिल पर पहले लोकसभा में और फिर लोकसभा की ही तरह राज्यसभा में भी सत्ताधारी दलों और विपक्षी दलों के बीच तीखी बहस हुई। कांग्रेस और टीएमसी जैसी पार्टियों ने जहाँ इस बिल को गलत बताया वहीं भाजपा और उनके समर्थक दलों ने इस बिल की ख़ूबियाँ गिनाते हुए इसकी तारीफ की।
पूर्वोत्तर राज्यों में जहाँ इस बिल को लेकर कई क्षेत्रों में विरोध प्रदर्शन और हिंसा देखने को मिल रहा है वहीं इस बिल के पास होने के बाद अगर कोई सबसे ज्यादा खुश है तो वो हैं शरणार्थी शिविरों में रह रहे वैसे बांग्लादेशी और पाकिस्तानी अल्पसंख्यक जिन पर उनके देश में तो ज़ुल्म हुए ही पर भारत में आने के बाद भी उनकी समस्याएं कम नहीं हुई थी।
बहरहाल राष्ट्रपति के हस्ताक्षरों के साथ ही यह बिल अब कानून बन गया है। गुरूवार को देर रात इस बाबत जारी की गई अधिसूचना के अनुसार यह कानून गजट प्रकाशन के साथ ही लागू हो गया। बता दें कि यह नया कानून नागरिकता अधिनियम 1955 में परिवर्तन लाएगा। इस परिवर्तन के अंतर्गत अब 31 दिसंबर, 2014 की तारिख तक धर्म के आधार पर प्रताड़ित हो कर पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफग़ानिस्तान से पलायन कर के भारत आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई धर्म के लोगों को अवैध घुसपैठिया नहीं कहा जाएगा और उन्हें भारत का नागरिक माना जाएगा।
नागरिकता संशोधन विधेयक के कानून बनने से पहले किसी भी विदेश नागरिक को भारत का नागरिक बनने के लिए कम से कम 11 साल भारत में रहना होता था पर अब पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफग़ानिस्तान से पलायन कर के भारत आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई धर्म के लोगों को 11 साल के बजाय छह साल रहने के बाद ही नागरिकता दी जा सकेगी।
पुराने कानून के अनुसार भारत में अवैध तरीके से प्रवेश करने वाले विदेशी नागरिकों को नागरिकता नहीं मिल सकती थी और उन्हें वापस उनके देश भेजने या हिरासत में रखने के प्रावधान था। पर नागरिकता संशोधन विधेयक के कानून बनने से 31 दिसंबर, 2014 की तारीख तक पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफग़ानिस्तान से पलायन कर अवैध तरीके से भारत आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई धर्म के लोगों को भी नागरिकता दी जायेगी।