भारत के जीडीपी ग्रोथ में पिछली लगातार दो तिमाहियों में गिरावट देखने को मिली है। जुलाई से सितंबर वाली साल की दूसरी तिमाही पर भारत की आर्थिक विकास दर 4.5 फीसदी रही है। इसी काल खंड में अगर पिछले वित्तीय वर्ष की बात करें तो तब भारत की आर्थिक विकास दर 7 फीसदी थी। विकास दर में हो रही गिरावट पर विपक्षी दल और सरकार के आलोचक सरकार पर निशाना साध रहे हैं। ऐसे में मोदी सरकार को पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का साथ मिला है और उन्होंने कहा है कि जीडीपी ग्रोथ गिरने से फ़िक्र करने कि कोई बात नहीं है।
भारत रत्न सम्मान से सम्मानित कांग्रेस पार्टी के कद्दावर नेता रहे प्रणब मुखर्जी ने कहा की वे अर्थव्यवस्था की धीमी रफ़्तार से फिक्रमंद नहीं हैं। उन्होंने गिरती अर्थव्यवस्था पर कहा कि 'देश में जीडीपी ग्रोथ में कमी से मैं चिंतित नहीं हूँ। कुछ चीजें हो रही हैं, जिनका असर देखने को मिल रहा है।' प्रणव मुखर्जी का इशारा आर्थिक बदलावों पर था जो पिछले सालों में किये गए हैं।
जब साल 2008 में मुखर्जी देश के वित्त मंत्री थे और पूरी दुनिया पर आर्थिक संकट गहरा गया था तब का संस्मरण याद करते हुए उन्होंने कहा कि '2008 के आर्थिक संकट के दौरान बैंकों ने मजबूती दिखाई थी। उस वक्त मैं वित्त मंत्री था और किसी भी बैंक ने पैसों के लिए मुझसे संपर्क नहीं किया था। अब बैंकों में बड़े पैमाने पर पूंजी की जरूरत है और इसमें कुछ भी गलत नहीं है।'
पूर्व राष्ट्रपति ने राजनीतिक मसलों पर भी बात की और इसपर टिप्पणी करते हुए कहा कि 'लोकतंत्र में संवाद बेहद जरूरी है।' इसके साथ ही उन्होंने कहा कि 'लोकतंत्र में डेटा की प्रमाणिकता भी बेहद जरूरी है। इससे कोई छेड़छाड़ नहीं होनी चाहिए। यदि ऐसा नहीं होता है तो इसका विपरीत असर देखने को मिलता है।'