मेट्रो ट्रेन बड़े शहरों में चलती है लेकिन अब छोटे शहरो को भी इसका लाभ मिलने वाला है। बता दे कि केंद्र सरकार ने छोटे शहरों के लिए 'मेट्रोलाइट' ट्रेन चलाने की घोषणा की है।
लेकिन इसका लाभ उन स्थानों पर होगा जहाँ यात्रियों की संख्या ज्यादा नहीं हैं क्योंकि योजना के तहत इन मेट्रो ट्रेनों में गति 25 किलोमीटर प्रति घंटे से ज्यादा नहीं रहेगी और 3 कोच रहेंगे। यह ट्रेन जमीन के साथ साथ साथ खंभों के ऊपर भी चल सकेगी। इसकी लागत मेट्रो ट्रेन की अपेक्षा कम रहेगी। साथ ही यह मेट्रो के फीडर प्रणाली के रूप पर भी कार्य करेगी। इस योजना को कार्यान्वित करने के लिए केंद्र राज्यों को आर्थिक मदद भी उपलब्ध कराएगा।
इस योजना के तहत मेट्रोलाइट का अपना एक अलग रास्ता होगा। जिससे सड़क पर चलने वाले वाहनों को यातायात में असुविधा नहीं होगी। जरुरत वाली जगहों पर इसके लिए दोनों ओर बाड़ भी लगाई जाएगी। यह ट्रेन जमीन के साथ खंभे पर भी चलेगी। इसमें अच्छी बात यह है कि ट्रेन के खंभों के लिए सड़क के बीचोंबीच केवल 2.2 मीटर स्थान की ही जरूरत होगी। केवल तीन कोच वाली इस ट्रेन में 300 यात्री सफर कर सकेंगे। इन लो फ्लोर कोच की जमीन से ऊंचाई 300 से 350 मिमी रहेगी और एक कोच की लंबाई 33 मीटर होगी। ट्रेन के कोच स्टेनलस स्टील या फिर एल्यूमिनियम के होंगे।
इन ट्रेनों के लिए जो प्लेटफार्म रहेंगे उनके ऊपर शेड होगा। ग़ौरतलब है कि इसमें, प्लेटफॉर्म स्क्रीन डोर, एएफसी गेट (आटोमेटिक फेयर कलेक्शन सिस्टम), एक्स-रे, बैगज स्कैनर नहीं रहेंगे। नेशनल कॉमन मोबिलिटी कार्ड (एनसीएमसी-वन नेशन वन कार्ड जैसी प्रणाली) या टिकट निरीक्षक को मेट्रोलाइट के भीतर ही स्थापित करने का विचार चल रहा है। मेट्रोलाइट के जारी किए गए मानकों में यह भी बताया गया है कि कोई यात्री यदि जांच के दौरान बिना टिकट मिलता है तो उस पर भारी जुर्माना लगाया जाएगा।
'मेट्रोलाइट' प्रणाली के संबंध में केंद्रीय शहरी एवं आवास मंत्रालय ने मानक भी जारी कर दिए हैं। मंत्रालय के अनुसार अभी उच्च क्षमता वाली मेट्रो रेल प्रणाली का विकास हो रहा है। बता दे कि बीजेपी ने अपने चुनाव घोषणा पत्र में 50 शहरों में मेट्रो का विस्तार करने का वादा किया था।