इतिहास में भारत की आज़ादी और हिंदुओं की रक्षा के लिए सिखों का नाम हमेशा के लिए अमर हो गया है। कई सिख राजाओं ने अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया है अपनी इस मातृभूमि के लिए। ऐसे ही सिख महाराजाओं में एक है महाराजा रणजीत सिंह जिन्होंने 19 वी सदी में पंजाब पर शासन किया था।

महाराजा रणजीत सिंह की 180 वी पुण्यतिथि के अवसर पर पाकिस्तान के लाहौर में 27 जून 2019 को एक स्मारक का अनावरण किया गया है। महाराजा रणजीत सिंह का यह स्मारक लाहौर के किले में माई जिंदियन हवेली में बाहर एक खुली जगह पर बनाया गया है। लाहौर का यह महल महाराजा रणजीत सिंह की सबसे छोटी रानी के नाम पर बनाया गया है। इस महल में सिख कलाकृतियों की स्थायी प्रदर्शनी भी बनायी हुई है, जो की सिख गैलरी के नाम से प्रसिद्ध है।

इस पूरे आयोजन को लाहौर के Walled City of Lahore Authority (WCLA) के द्वारा किया गया है और इसका पूरा खर्च ब्रिटेन स्थित सिख संस्था, एसके फाउंडेशन ने उठाया है। महाराजा रणजीत सिंह की यह मूर्ति लगभग 8 फूट ऊँची है।  इस मूर्ति में उन्हें घोड़े पर बैठा हुआ हाथ में तलवार लिए दिखाया गया है।

दैनिक जागरण की खबर के अनुसार लाहौर शहर के महानिदेशक कामरान लशैरी ने इस मूर्ति के विषय में बताया है कि, “जैसा कि आप जानते हैं धार्मिक पर्यटन हमारी सरकार के मुख्य विषयों में से एक है। करतारपुर साहिब, ननकाना साहिब को इस सरकार से अधिक महत्त्व मिला है। रणजीत सिंह की प्रतिमा भी उसी का एक हिस्सा है।”

इंडियन एक्सप्रेस के संवाददाता ने जब शहर के महानिदेशक कामरान लशैरी से इस बारे में चर्चा की तो लशेरी ने बताया कि प्रतिमा का अनावरण लाहौर में किया जा रहा है और इस आयोजन के लिए पाकिस्तान सरकार ने 450 से अधिक वीजा को भी मंजूरी दे दी है। वही दूसरी ओर खबर मिली है कि उपरोक्त कार्यक्रम में इंडियन हाई कमीशन के किसी भी अधिकारी को निमंत्रण नहीं दिया है।

मूर्ति और स्मारक का निर्माण फ़क़ीर सैयद सैफ़ुद्दीन के निर्देशन में लाहौर के नेशनल कॉलेज ऑफ आर्ट और नक़्श स्कूल ऑफ़ आर्ट के तीन मूर्तिकार ने किया है। सैफ़ुद्दीन ने इस स्मारक के बारे में बताया है कि 'यह स्मारक कोल्ड ब्रोंज तकनीक के इस्तेमाल से बनाया गया है, जिसे बनने में लगभग 8 महीने लगे और जो अमृतसर और दिल्ली में मौजूद रणजीत सिंह के स्मारकों से भी ज्यादा खूबसूरत है।'

आज जब महाराजा रणजीत सिंह की बात निकली है तो उनसे जुड़ा होली का एक किस्सा याद आता है जिसमे उन्होंने अंग्रेज अफसर सर हेनरी के टकले पर गुलाल मल दिया था। दरअसल महाराजा को होली खेलने का बहुत शौक था और उनके महल में होली की तैयारी कई दिनों पहले से शुरू हो जाती थी। होली खेलने के लिए बगीचे में टेंट लगा दिए जाते थे और उन्हें हमेशा नए तरीकों से सजाया जाता था। सभी टेंटो के आसपास सैनिकों को भी रखा जाता था जिससे उन टेंट की शोभा और बढ़ जाती थी। महाराजा रणजीत सिंह हमेशा होली पर अंग्रेज अफसरों को बुलाते थे और हमेशा सर हेनरी के टकले पर गुलाल मलते थे।