हम सब जानते हैं की भारतीय संसद के निचले सदन लोकसभा में 543 सीटें हैं और इन सीटों की संख्या में बहुत सालों से कोई बदलाव नहीं किया गया है। बहरहाल अब पूर्व राष्ट्रपति और कांग्रेस पार्टी के कद्दावर नेता रहे भारत रत्न प्रणब मुखर्जी ने लोकसभा सीटों में इजाफा करने की बात कही है। उनका कहना है कि "भारत में निर्वाचित प्रतिनिधियों के लिए निर्वाचन क्षेत्र अनुपातहीन रूप से आकार में बड़ा है।"
प्रणब मुखर्जी ने ये बातें इंडिया फाउंडेशन के माध्यम से आयोजित किये गए दूसरे अटल बिहारी वाजपेयी स्मृति में व्याख्यान देते हुए कही। उन्होंने इस दौरान अटल बिहारी वाजपेयी को भारत का एक महान पुत्र भी बताया।
इस समारोह में उन्होंने भारतीय लोकतान्त्रिक व्यवस्था में भविष्य में कुछ बदलाव करने को कहा। इन्हों बदलावों में एक लोकसभा की सीटों की संख्या बढ़ाना भी है। उन्होंने इस दौरान कहा की "लोकसभा की सीटों की संख्या मौजूदा 543 से बढ़ाकर 1000 की जानी चाहिए। साथ ही राज्यसभा की ताकत में भी इजाफा होना चाहिए। लोगों ने कुछ पार्टी को संख्यात्मक बहुमत दिया हो सकता है, लेकिन भारत के चुनावी इतिहास में मतदाताओं के बहुमत ने कभी भी एक पार्टी का समर्थन नहीं किया है।"
इस दौरान भारतीय इतिहास में कब लोकसभा की सीटों की संख्या में बदलाव हुआ इसका भी जिक्र प्रणब मुखर्जी ने किया। उन्होंने बताया की "लोकसभा की क्षमता को 1977 में संशोधित किया गया था। यह 1971 की जनगणना के आधार पर हुआ था। उस वक्त आबादी 55 करोड़ थी। लेकिन अब आबादी उस वक्त से दोगुने से भी ज्यादा बढ़ गई है। आदर्श रूप से लोकसभा की ताकत बढ़ाकर 1000 कर दी जानी चाहिए।"
उन्होंने आगे कहा की 'मुझे आश्चर्य है कि भारत में संसदीय प्रणाली के काम में मदद करने या सुधार करने के लिए एक नया संसद भवन कैसे बन रहा है। अगर लोकसभा की ताकत बढ़ाकर 1000 कर दी जाती है तो सेंट्रल हॉल को निचले सदन में बदला जा सकता है और राज्यसभा को वर्तमान लोकसभा में स्थानांतरित किया जा सकता है।"