अब आतंकियों के निशाने पर गैर कश्मीरी लोग आ चुके है। जिसके तहत दूसरे प्रांत के सेब कारोबारियों, मज़दूरों, ट्रक चालकों, दुकानदारों, अन्य व्यवसाय से जुड़े लोगों में दहशत पैदा करने की साज़िश के तहत हमले किये जा रहे हैं।
इस प्रकार के हमले के निर्देश आईएसआई ने दिए हैं जिससे कि घाटी छोड़ने को गैर कश्मीरी लोग मजबूर हो जाए। इसके साथ ही आईएसआई ये चाहता है की लोग यहां आने से भी कतराएं। बता दें कि नब्बे के दशक में आतंकवाद से दहशत में आए कश्मीरी पंडितों ने भी ऐसी ही परिस्थितियों के चलते घाटी छोड़ी थी।
इस नई साजिश के तहत दूसरे प्रदेशों के सेब कारोबारी से लेकर मज़दूर तक साफ्ट टारगेट बने हुए है। आतंकी इससे पहले आम लोगों पर हमला करने से परहेज करते थे। दक्षिणी कश्मीर के कुलगाम में पश्चिम बंगाल के 5 मज़दूरों की हत्या के पश्चात वहां के श्रमिकों ने घाटी से पलायन किया है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के हस्तक्षेप पर 1 नवंबर को वहां से लगभग 150 मज़दूरों को सुरक्षित वापस भेजा दिया गया।
मारे गए मज़दूर लंबे समय से कश्मीर में काम कर रहे थे। घाटी के विभिन्न इलाकों में बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ के मज़दूर कार्य करते हैं। साथ ही रेहड़ी-फड़ी लगाकर जीविका चलाने वालों की भी अच्छी तादाद वहां है। इन मजदूरों द्वारा घाटी में भवनों का निर्माण, विभिन्न प्रकार के ठेके से जुड़े कार्य और ईंट भट्ठे के काम करवाए जाते हैं। ये मज़दूर दक्षिणी, उत्तरी तथा मध्य कश्मीर सभी जगह कार्य कर रहे हैं।
इस मसले पर सुरक्षा बलों का कहना है कि गैर कश्मीरी लोगों पर बारीकी से नजर रखी जा रही है। बाहरी राज्यों के मज़दूरों की गिनती कराई जा रही है। इसके साथ ही उनकी बस्तियों तथा रिहायशी इलाकों की सुरक्षा पुख्ता करने के भी प्रबंध किए जा रहे हैं।