डायरेक्टर: विकास बहल

स्टार कास्ट: ऋतिक रोशन, मृणाल ठाकुर, पंकज त्रिपाठी, नंदिश सिंह

रेटिंग: **1/2

आजकल फिल्म इंडस्ट्री में बायोपिक फ़िल्में बनाने का नया ट्रेंड चला हुआ है और यह काफी हद तक सफल भी हो रहा है। कई बार इस तरह की बायोपिक फ़िल्में किरदार की छवि सुधारने के लिए बनाई जाने लगी है। फिल्मों में किरदार से जुड़ी सकारात्मक चीजों को ही बताया जाता है किरदार से जुड़े विवादों को पूर्णतः नजरअंदाज़ किया जाता है। ऐसी ही एक फिल्म बनाई है फिल्म निर्माता विकास बहल ने जिसमे प्रतिष्ठित गणितज्ञ आनंद कुमार के जीवन के बारे में बताया गया है। इस फिल्म में आनंद कुमार का किरदार ऋतिक रोशन ने निभाया है।

बिहार के पटना में रहने वाले आनंद कुमार एक ऐसे टीचर है जिन्होंने आर्थिक रूप से कमजोर योग्य बच्चों को निशुल्क कोचिंग देकर आईआईटी में प्रवेश का मार्ग प्रशस्त किया है। आनंद कुमार एक गरीब और निचले तबके के परिवार में जन्मे है उन्होंने अपनी बुद्धिमता और कड़ी मेहनत के दम पर कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी तक पहुंच तो जाते है परन्तु उनकी गरीबी यहाँ उनके आड़े आ जाती है और वह एडमिशन नहीं ले पाते है।

आनंद कुमार की बुद्धिमता को देख कर लल्लन जी उन्हें अपनी कोचिंग क्लास का स्टार टीचर बनाकर पेश करते है और उनके दिन बदलने लगते है। परन्तु जब आनंद कुमार को यह अहसास होता है कि वह सिर्फ राजा के बेटे को राजा बना रहे है तब जाकर वह सुपर 30 का प्रारम्भ करते है और 30 ऐसे बच्चों को आईआईटी की तैयारी कराने का फैसला करते है जिनके पास शिक्षा पाने की लगन तो है परन्तु साधन नहीं है।

इस फिल्म के निर्देशक विकास बहल ने फिल्म के फर्स्ट हाफ में समा बाँधने की कोशिश की है परन्तु सेकंड हाफ में कहानी थोड़ी खिंच जाती है। इस फिल्म में निर्देशक ने आनंद कुमार से जुड़े विवादों को दूर रखा है। इस फिल्म में ऋतिक रोशन ने आनंद कुमार के संघर्षों, उनके और उनके परिवार के बीच के जज्बाती रिश्ते और गरीब बच्चों को आईआईटियंस बनाने के जज्बे को बखूबी निभाया है।

2 घंटे 42 मिनट लम्बी यह फिल्म थोड़ी ज्यादा लंबी सी लगती है। साथ ही साथ इस फिल्म में भी बॉलीवुड फिल्मों की वो एक आम परेशानी नजर आती है जो है लव स्टोरी घुसेड़ देना। फिल्म में ऋतिक की मृणाल संग जो लव स्टोरी दिखाई जाती है उसका फिल्म की कहानी से कोई लेना देना नहीं लगता। उस हिस्से के बगैर भी फिल्म चल जाती और उबाऊ भी नहीं होती।