हाल ही में नया मोटर व्हीकल एक्ट लागू हो गया है और इसके लागु होने के बाद से वाहन का रजिस्ट्रेशन सर्टीफिकेट (आरसी), पॉल्यूशन अंडर कंट्रोल सर्टिफिकेट, इंश्योरेंस सर्टीफिकेट, ड्राइविंग लाइसेंस और परमिट सर्टिफिकेट तत्काल नहीं दिखाने पर अनेक चालान करने की खबरें सामने आ रही हैं।
बता दें कि सेंट्रल मोटर व्हीकल रूल्स के अनुसार यदि आप ट्रैफिक पुलिस के द्वारा मांगने पर तुरंत रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट (आरसी), पॉल्यूशन अंडर कंट्रोल सर्टिफिकेट, ड्राइविंग लाइसेंस (डीएल), इंश्योरेंस सर्टिफिकेट और परमिट सर्टिफिकेट नहीं दिखाते हैं, तो यह जुर्म की श्रेणी में नहीं आएगा।
सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट विनय कुमार गर्ग और एडवोकेट रोहित श्रीवास्तव ने जानकारी दी है कि सेंट्रल मोटर व्हीकल रूल्स के नियम 139 में प्रावधान किया गया है कि दस्तावेजों को पेश करने के लिए वाहन चालक को 15 दिन का समय दिया जाएगा। ट्रैफिक पुलिस तुरंत ही उसका चालान नहीं काट सकती है।
इसका अर्थ यह हुआ कि यदि चालक 15 दिन के भीतर इन दस्तावेज़ों को दिखाने को कहता है, तो ट्रैफिक पुलिस या आरटीओ अधिकारी वाहन का चालान नहीं काटेंगे। इन दस्तावेज़ों को चालक को 15 दिन के अंदर संबंधित ट्रैफिक पुलिस या अधिकारी को दिखाना ज़रूरी है।
सीनियर एडवोकेट ने यह भी बताया कि इन दस्तावेज़ों को दिखाने का समय मोटर व्हीकल एक्ट 2019 की धारा 158 के तहत एक्सीडेंट होने या किसी विशेष मामलों में 7 दिन का होता है। इसके अतिरिक्त ट्रैफिक कानून के जानकार लॉ प्रोफेसर डॉ राजेश दुबे ने बताया कि यदि ट्रैफिक पुलिस आरसी, पॉल्यूशन अंडर कंट्रोल सर्टिफिकेट, डीएल, इंश्योरेंस सर्टीफिकेट, ड्राइविंग लाइसेंस और परमिट सर्टिफिकेट तत्काल नहीं दिखाने पर चालान काटती है, तो चालक के पास इसको खारिज कराने का विकल्प कोर्ट में रहता है।
सीनियर एडवोकेट गर्ग का बताया कि यदि ट्रैफिक पुलिस गैर कानूनी तरह से चालान काटती है, तो इसका अर्थ यह नहीं है कि चालक को चालान भरना ही पड़ेगा। यदि कोर्ट को लगता है कि चालक के पास समस्त दस्तावेज़ हैं और उसको इन दस्तावेज़ों को पेश करने के लिए 15 दिन का समय नहीं मिला है, तो वह जुर्माना माफ भी कर सकता है।