दिल्ली विश्वविद्यालय में बीती रात एक घटना घटित हुई जिसने सभी राष्ट्रभक्तों को आहत किया। इस घटना को अंजाम कांग्रेस द्वारा संचालित NSUI के छात्रों ने दिया है। दरअसल डीयू के नार्थ कैंपस में बीती रात ABVP ने बिना विश्वविद्यालय प्रशासन की अनुमति के वीर सावरकर, सुभाषचंद्र बोस, भगत सिंह की मूर्ति स्थापित कर दी थी। ABVP द्वारा किये इस कार्य के विरोध में NSUI ने इन मूर्तियों पर कालिख पोती और इन मूर्तियों को जूतों की माला पहनाई है।
Yesterday NSUI Delhi President put Shoe garland around Savarkar statue & blackened it's face!
— Aviral sharma (@sharmaAvl) August 22, 2019
NSUI goons thrashed an ABVP Karyakarta when he tried to stop them!
This is heights of Intolerance by Congress!
I urge @DelhiPolice to immediately arrest theis bigot! pic.twitter.com/XZeOaHygRO
ग़ौरतलब है कि DUSU अध्यक्ष शक्ति सिंह ने रातों रात इन मूर्तियों को आर्ट्स फैकल्टी गेट पर लगवा दिया था। इन मूर्तियों को लगाने के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन ने किसी भी प्रकार की अनुमति नहीं दी थी। विश्वविद्यालय प्रशासन के अनुमति नहीं देने पर शक्ति सिंह ने कहा था कि वे कई बार इन मूर्तियों को लगाने के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन से अनुमति मांगी थी परन्तु विश्वविद्यालय प्रशासन ने इसे हमेशा अनदेखा किया है। DUSU अध्यक्ष शक्ति सिंह ने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के टिकट पर डीयू उपाध्यक्ष के लिए चुनाव लड़ा था परन्तु कुछ समय बाद अंकित बसोया ने अध्यक्ष पद से इस्तीफ़ा दे दिया था जिसके कारण वे अध्यक्ष बने।
DU: वीर सावरकर की मूर्ति पर NSUI ने पोती कालिख़, ABVP के लोगों ने किया था इन प्रतिमाओं को स्थापित । अब इलाके में पुलिस है तैनात । ताज़ा जानकारी दे रहे हैं @aajgothi
— आज तक (@aajtak) August 22, 2019
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डीयू में उभरे इस विवाद के बाद NSUI के तरफ से भी प्रतिक्रिया आई है। NSUI के राष्ट्रीय सचिव साएमन फारुकी ने इस पर अपने बयान में कहा "एबीवीपी (ABVP) ने हमेशा से सावरकर को अपना गुरु माना है। अंग्रेजी हुक़ूमत के सामने दया की भीख मांगने के बावजूद, एबीवीपी इस विचारधारा को बढ़ावा देना चाहती है। मैं सभी को याद दिलाना चाहता हूँ कि यह वही सावरकर हैं जिन्होंने भारत छोड़ो आंदोलन का विरोध किया और तिरंगा फहराने से इनकार कर दिया था। यह वहीं सावरकर है जिसने भारत के संविधान को ठुकरा कर, मनुस्मृति और हिंदू राष्ट्र की मांग की थी।"
वही दूसरी तरफ NSUI के प्रदेश अध्यक्ष ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा "विश्वविद्यालय हमारी और आपकी है किसी के बाप की नहीं। ABVP ने विनायक दामोदर सावरकर को भगत सिंह और नेताजी सुभाषचंद्र बोस की आड़ में वीर घोषित करने का असफल प्रयास किया है। सावरकर संघ का सेवक और देश का गद्दार था। इस यूनिवर्सिटी में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद का तुगलकी फरमान चल रहा था और 24 घंटे से यूनिवर्सिटी प्रशासन तमाशा देख रहा था। मुझे इसलिए यह क़दम उठाना पड़ा क्योंकि लोग एक मुखबिर और गद्दार की मूर्ति यूनिवर्सिटी में लगा रहे हैं वह भी रातों-रात और यूनिवर्सिटी प्रशासन तमाशा देख रही है।"