जम्मू हाईवे पर फंसी आसिफा और बच्चों के लिए 12 किमी चलकर CRPF के जवानों ने पहुँचाया खाना

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Nikhil Talwaniya
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जम्मू हाईवे पर फंसी आसिफा और बच्चों के लिए 12 किमी चलकर CRPF के जवानों ने पहुँचाया खाना

जम्मू और कश्मीर को लेकर मीडिया में कई भ्रांतियां फैलाई जाती रही हैं और कहा जाता रहा है की वहां भारतीय सेना के जवान लोगों को परेशान करते हैं। पर पिछले दिनों जम्मू-श्रीनगर हाईवे पर जो हुआ उसके बारे में जानकर हर किसी की सोच जम्मू कश्मीर के बारे में बदल जायेगी।

दरअसल 2 जनवरी को शाम 5:30 बजे आसिफा नाम की एक महिला तथा उसका परिवार जम्मू-श्रीनगर हाईवे पर जाम में फंस गया था। आसिफा के बच्चे भूखे थे और उसे कुछ सूझ नहीं रहा था तभी उसने सीआरपीएफ की ‘मददगार’ हेल्पलाइन पर फोन किया और बताया कि उसका परिवार जम्मू-श्रीनगर हाईवे पर जाम में फंसा हुआ है। बच्चे भूखे हैं, कुछ मदद कीजिए।

जाम में फंसी आसिफा के फोन पर सीआरपीएफ की 167 बटालियन की डी कंपनी ने तुरंत एक्शन लिया और और पैदल ही बर्फीले रास्ते पर निकल पड़ी। इस दौरान डी कंपनी ने करीब 12 किमी चलकर उस परिवार के लिए खाना पहुंचाया।

CRPF की जिस टीम ने आसिफा तक मदद पहुंचे उसके इंस्पेक्टर रघुवीर सिंह ने मीडिया संस्थान भास्कर से बात की और बताया कि "यह हमारे लिए अलग तरह का टास्क था, बच्चों की मुस्कान देखकर हमें सुकून मिला। हमें शाम 5:30 बजे आदेश मिला- ‘हाईवे पर जाम में एक परिवार फंसा हुआ है, जिसमें दो बच्चे हैं। उन्होंने सुबह से कुछ नहीं खाया है। उनके लिए खाना पहुंचाना है।’ ये काम हमारे लिए अलग तरह का था। दरअसल, हमें ऐसे टास्क का अंदाजा नहीं था। खैर, हमने तुरंत 6 लोगों की टीम बनाई। दाल-चावल, दो-ढाई लीटर दूध, छह लीटर गर्म पानी, फल और बिस्कुट के पैकेट बांध कर निकल पड़े। 2 किमी पैदल चलने के बाद हमें लंबा जाम दिखा, लेकिन, उस परिवार तक पहुंचने में कुल 12 किमी चलना पड़ा। हमारे पास उस परिवार का फोन नंबर आ गया था, इसलिए उन्हें खोजने में दिक्कत नहीं हुई। वो लाेग भूस्खलन की वजह से फंसे हुए थे।"

इंस्पेक्टर रघुवीर सिंह ने बताया की आसिफा के परिवार में 3-4 साल के दो बच्चे थे। हमने उनसे कहा- घबराने की जरूरत नहीं। खाना आ गया है। यह सुनकर उनके चेहरे पर चमक आ गई। बच्चों के होंठों पर मुस्कान आ गई। हमने उस परिवार से कहा कि हमारे साथ चलिए, लेकिन गाड़ी में बैठी दोनों महिलाओं ने पैदल चलने में असमर्थता जताई। हमने कहा कि अगर जाम नहीं खुलता है तो हम आपको उठाकर ही अगले स्टेशन तक चलेंगे। लेकिन, वो लोग वहीं रुकना चाहते थे। वहां सैकड़ों गाड़ियां फंसी हुई थीं। इसलिए किसी तरह का कोई खतरा नहीं था। उन्हें सिर्फ खाना चाहिए था।

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