चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने दिए संकेत, एक महीने में अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट दे देगा अपना निर्णय

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Nikhil Talwaniya
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चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने दिए संकेत, एक महीने में अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट दे देगा अपना निर्णय

राम जन्मभूमि और बाबरी मस्जिद प्रॉपर्टी विवाद का मामला दशकों से चला आ रहा है अब इस पर जल्द ही फैसला आने की संभावना बढ़ गई है। अब हिंदू पक्ष की सुनवाई के बाद मुस्लिम पक्ष की भी सुनवाई पूर्ण होने वाली है। बताया जा रहा है कि अयोध्या मामले की सुनवाई 18 अक्टूबर तक पूरी हो सकती है साथ ही इस मामले में जल्द ही कोई बड़ा फैसला आ सकता है। यह फैसला नवंबर से पहले आ सकता है।

इस मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने इसके संकेत दिए। बता दें कि सुनवाई करते समय चीफ जस्टिस ने समस्त पक्षों से पूछा कि वो कितने-कितने दिन में अपनी बहस पूर्ण कर लेंगे। संविधान पीठ की अध्यक्षता कर रहे चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि यदि सभी पक्ष एक बार ये बता देते है कि वो कितना समय लेंगे तो हमें भी मालूम चल जाएगा कि फैसला लिखने के लिए हमे कितना समय मिलेगा।

आपको बता दें कि इसी साल 17 नवंबर को चीफ जस्टिस रंजन गोगोई रिटायर हो रहे हैं। इससे पहले ही संविधान पीठ दशकों पुराने इस विवाद पर फैसला सुना सकती है। मुस्लिम पक्ष की ओर से वरिष्ठ वकील राजीव धवन ने बहस की शुरुआत करते हुए कहा था कि विवादित स्थल से प्राप्त खंभों पर मिले निशानों से यह साबित नहीं हो सकता की वो इस्लामिक नहीं है। धवन ने कहा कि मस्जिदें सिर्फ मुसलमानों द्वारा ही नहीं बनाई गई थीं। ताजमहल को अकेले मुसलमानों ने नहीं बनवाया था इसमें मुस्लिम और हिंदू दोनों समुदायों के मज़दूर थे।

जैसा कि सुन्नी वक्फ बोर्ड जमीन के मालिकाना हक की मांग करता रहा है। अब समिति को मध्यस्थता के लिए उसने पत्र लिखा है। बोर्ड चाहता है कि बातचीत से मुद्दे को सुलझाने का प्रयास फिर शुरू की जाए। निर्वाणी अखाड़ा हनुमान गढ़ी मंदिर की देखरेख करने वाले 3 प्रमुख रामआनंदी अखाड़ों में एक है। विवाद सुलझाने की बात से निर्मोही अखाड़ा भी सहमत है।

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