राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली ने एक साल के भीतर ही खो दिए अपने तीन पूर्व मुख्यमंत्री

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राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली ने एक साल के भीतर ही खो दिए अपने तीन पूर्व मुख्यमंत्री

बीते दिन भाजपा की वरिष्ठ नेता सुषमा स्वराज का निधन हो गया है। कल दिन में उनकी तबियत ठीक न होने के कारण उन्हें दिल्ली AIIMS में भर्ती करवाया गया था जहाँ उनका हृदय घात के कारण निधन हो गया है। ग़ौरतलब है कि पिछले साल अक्टूबर से लेकर अभी तक यानी एक साल से भी कम समय में दिल्ली के तीन पूर्व मुख्यमंत्री का निधन हो गया है। पिछले माह जुलाई में दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित का निधन दिल का दौरा पड़ने से हुआ था। पिछले साल अक्टूबर माह में 1993 से 1996 तक दिल्ली के मुख्यमंत्री रहे मदनलाल खुराना का भी निधन हुआ था।

आइये जानते है इन तीनों मुख्यमंत्री के राजनैतिक सफर के बारे में।

सुषमा स्वराज

सुषमा स्वराज अपने समय की सबसे कम उम्र वाली विधायक थी उन्होंने मात्र 25 वर्ष की आयु में अपना पहला चुनाव हरियाणा की अंबाला सीट से लड़ा था और विजय श्री प्राप्त की थी। उसके बाद वे देवीलाल सरकार में मंत्री बनाई गई थी। इन्हे 1979 में हरियाणा में जनता पार्टी का अध्यक्ष भी चुना गया था। हरियाणा सरकार में 1987 से 1990 तक मंत्री रही थी। 1990 में उन्हें पहली बार राज्य सभा सदस्य भी चुना गया था। वर्ष 1996 में आपने पहली बार दक्षिण दिल्ली से लोकसभा सांसद बनी और 13 दिन की सरकार में सूचना प्रसारण मंत्री बनी थी दूसरी बार के चुनाव में फिर वे दक्षिण दिल्ली से सांसद चुनी और फिर से सूचना प्रसारण मंत्री बनाई गई थी। वे 1998 दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री भी बनी थी। सुषमा स्वराज ने 1999 में सोनिया गांधी के खिलाफ चुनाव लड़ा और इस चुनाव में उन्हें हार का मुँह देखना पड़ा था। उसके बाद उन्हें राज्य सभा सांसद चुना गया था। विदिशा लोकसभा क्षेत्र में वर्ष 2009 में सांसद बनकर लोकसभा में विपक्ष की उपनेता बनाई गई। 26 मई, 2014 मोदी सरकार में विदेश मंत्री बनाया गया था। उसके बाद 2019 के लोकसभा चुनाव में स्वास्थ कारणों से उन्होंने चुनाव नहीं लड़ा।

शीला दीक्षित

उत्तरप्रदेश की कन्नौज लोकसभा सीट से 1984 से 1989 तक सांसद रही। 1986 से 1989 के बीच शीला दीक्षित ने केंद्रीय मंत्री के रूप में कार्य किया और दो मंत्रालयों को संभाला। वे 1998 में दिल्ली की मुख्यमंत्री बनाई गयी उसके बाद उन्होने दिल्ली पर करीब 15 वर्षो तक शासन किया। वर्ष 2014 में इन्हे केरल का राज्यपाल नियुक्त किया था परन्तु कुछ महीनों में उन्हें इस्तीफ़ा देना पड़ा था।

मदनलाल खुराना

वर्ष 1959 में मदनलाल खुराना ने पहला चुनाव इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में लड़ा और छात्र संघ के जनरल सेक्रेटरी चुने गए। इसके बाद वे 1960 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के जनरल सेक्रेटरी बनाये गए। राजनीति में आने से पहले मदनलाल खुराना दिल्ली विश्वविद्यालय के पीजीडीएवी कॉलेज में एक शिक्षक के रूप में कार्य कर रहे थे। मदनलाल खुराना ने विजय कुमार मल्होत्रा व अपने अन्य साथियों के साथ मिलकर जनसंघ के केंद्र की स्थापना की जिसे आज हम भाजपा के रूप में जानते हैं। संगठन के प्रति अपनी कर्मठता के कारण इन्हे दिल्ली का शेर भी कहा जाता था। वे वर्ष 1993 में दिल्ली के मुख्यमंत्री बने और 1996 में इस्तीफ़ा देने तक इस पद पर बने रहे। वे वर्ष 2004 में 4 जनवरी से 28 अक्टूबर 2004 तक राजस्थान के राज्य पाल भी बनाये गए।

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