आर्य बाहर से आए थे या भारत के निवासी थे ये सवाल कई सालों से चला आ रहा है लेकिन अब  इसका जवाब मिल गया है। इस राज से पर्दा हरियाणा के हिसार जिले के राखीगढ़ी में हुई हड़प्पाकालीन सभ्यता की खुदाई के दौरान उठ गया है। राखीगढ़ी में 5000 साल पुराने कंकाल मिले है जिनके अध्ययन के बाद खुलासा हुआ है कि आर्य यहीं के मूल निवासी थे, वह बाहर से नहीं आए थे। इसके अलावा यह भी जानकारी मिली है कि भारत के लोगों के जीन में पिछले हजारों सालों में कोई बड़ा परिवर्तन नहीं हुआ है।

शोध के दौरान यह बात सामने आयी है कि आर्यन्स भारत के ही मूल निवासी थे।  इसके लिए वैज्ञानिकों ने राखीगढ़ी में मील नरकंकालों के अवशेषों का डीएनए टेस्ट किया। डीएनए टेस्ट से यह पता चला है कि प्राचीन आर्यन्स की डीएनए रिपोर्ट से यह रिपोर्ट मेल नहीं खाती है। जिससे यह साबित होता है कि आर्य बाहर से नहीं आये थे।

यह बात भी सामने आयी कि 9000 साल पहले भारत के लोगों ने ही कृषि का आरम्भ किया था। इसके बाद ये ईरान व इराक हो कर पूरी दुनिया में पहुंची। यहीं के लोगों का भारत के विकास में योगदान है।राखीगढ़ी में मिले 5000 साल पुराने कंकालों के अध्ययन के पश्चात रिपोर्ट में यह बात भी सामने आई है कि हड़प्पा सभ्यता में सरस्वती की पूजा होती थी साथ ही हवन भी होता था।

हिसार के राखीगढ़ी में खुदाई का कार्य कर रहे पुणे के डेक्कन कॉलेज के पुरातत्वविदों के मुताबिक खुदाई के समय युवक कंकाल का मुंह युवती की तरफ था। ऐसा पहली बार देखने को मिला है कि हड़प्पा सभ्यता की खुदाई के दौरान किसी युगल की कब्र मिली है।