अयोध्या में राम मंदिर और बाबरी मस्जिद को लेकर अभी तक फैसला नहीं आया है। सर्वोच्च न्यायालय में अयोध्या विवाद को लेकर लगातार सुनवाई जारी है। आज गुरुवार यानि अगस्त 22, 2019 को भी सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। आज इसकी सुनवाई का 10वां दिन था। इस दौरान दोनों पक्ष के लोग अपना अपना बयान दे रहे थे।
इस दौरान वकील रंजीत कुमार ने अपना पक्ष रखते हुए रामलला विराजमान के वरिष्ठ वकील सीएस वैद्यनाथन के उस बयान का जिक्र किया, जिसमें उन्होंने कहा था कि संपूर्ण संपत्ति ही देवता है और श्रद्धालु पूरे जन्मस्थान की ही पूजा करते आ रहे हैं।कुमार ने कहा कि देवता की पूजा करना उनका व्यावहारिक अधिकार है और कोई इस अधिकार को छीन नहीं सकता।
साथ ही कुमार ने कहा कि 1935 के बाद से ही मुस्लिमों ने इस जगह पर नमाज़ नहीं पढ़ी है और इसे गलत रूप में बाबरी मस्जिद कहा गया। इसके बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट की पीठ के समक्ष 20 ऐसे एफिडेविट पेश किए, जिनसे यह मालूम पड़ा की उस स्थल पर राम मंदिर को गिराकर मस्जिद बनाई गई थी।
एफिडेविट के हिसाब से मुस्लिमों ने यह स्वीकार किया है कि 1935 के बाद से ही उस स्थल पर नमाज़ नहीं पढ़ी जा रही है और इसीलिए अगर हिंदुओं को यह ज़मीन वापस कर दी जाती है तो उन्हें कोई आपत्ति नहीं है। इस पर जस्टिस चंद्रचूड़ ने वकील रंजीत कुमार से कहा कि एफिडेविट देने वाले लोगों का यंहा उपस्थित होना ज़रूरी है ताकि हम उनसे सवाल जवाब कर सकते है।