उधारी चुकाने की एक मिसाल सामने आयी है जिसमे अफ्रीकी देश केन्या से एक युवक पढ़ाई के ल‍िए भारत देश आया। वह युवक दूकान की उधारी नहीं चुका पाता था। जिसके कारण वह जब अपने देश वापिस गया तो एक क‍िराने की दुकान के 200 रुपये उधार रह गए थे। वह युवक उस उधारी को भूला नहीं था। जब 34 साल बाद वह शख्स केन्या का मंत्री बनकर भारत के प्रधानमंत्री से म‍िलने हेतु भारत आया तो उसने भारत उस दुकानदार को खोजा और 200 रुपये के स्थान पर 19 हजार रुपये दिए।

जानकारी दे दें कि रिचर्ड टोनगी 34 साल पहले महाराष्ट्र में औरंगाबाद के मौलाना आजाद कॉलेज में पढ़ाई करने आये थे उसी दौरान वह वर्ष 1985 से 1989 तक औरंगाबाद में ही रहे। वे रिचर्ड कॉलेज के पास वानखेड़े नगर में रहते थे। वह काशीनाथ गवली के पड़ोस में रहते थे और वहीं काशीनाथ की किराना दुकान थी।

इस किराने की दुकान से रिचर्ड सामान उधार लिया करते थे। रिचर्ड को पढ़ाई के समय पैसे की कमी रहा करती थी परन्तु उस समय रिचर्ड टोनगी काशीनाथ को किराने का सामान उधार दे दिया करते थे।

जब उनकी पढ़ाई पूरी हुई और वह वापस अपने देश केन्या जा रहे थे तब किराना दूकान के 200 रूपए  उनपर उधार रह गए थे। उन्होंने सोचा कि जब भी भारत वापस आना हुआ तो वह 200 रूपये चुका देंगे।  

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात करने के लिए रिचर्ड दिल्ली आये। मुलाकात के बाद वह औरंगाबाद पहुंचे। औरंगाबाद के ताज होटल में रिचर्ड रुके हुए थे। उसके बाद वह पहले वानखेड़े नगर पहुंचे और फिर ढूंढते-ढूंढते वह काशीनाथ की दुकान पर पहुंचे। दुकान पहुंच कर उन्होंने 200 रुपये के बदले में 19 हजार रुपये का भुगतान क‍िया।