उत्तर प्रदेश के बागपत में एक ऐसी घटना सामने आई है जो हमें और हमारे समाज को शर्मिंदा होने पर मजबूर करती है। इस घटना में कक्षा-3 की 1 छात्रा के साथ उसके स्कूल के ही कक्षा-6 के एक छात्र और छात्र के 2 छोटे भाइयों ने दुष्कर्म किया। रिपोर्ट के अनुसार, बागपत के रमाला क्षेत्र के एक गांव के एक सरकारी प्राथमिक विद्यालय के शौचालय के भीतर 8 वर्षीय बच्ची के साथ दुष्कर्म किया गया।
वहां की स्थानीय पुलिस 15 दिन तक एफआईआर दर्ज नहीं कर रही थी। बच्ची के पिता को आरोप वापस लेने के लिए स्टेशन हाउस ऑफिसर (एसएचओ) नरेश कुमार ने भी मजबूर करने का प्रयास किया। सोमवार शाम को यह मामला तब सामने आया, जब लड़की की तबियत ज्यादा ख़राब होने लगी और पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों को एसएचओ के व्यवहार की जानकारी दी गई। फिर उन्हें जिला पुलिस प्रमुख द्वारा हटा दिया गया और तब से लड़की अस्पताल में भर्ती है।
लड़की के चाचा के मुताबिक, "शुरू से, हमें चुप रहने के लिए कहा गया था. घटना के एक दिन बाद यानि करीब एक पखवाड़े पहले, हम स्कूल में शिक्षिका से मिले थे, लेकिन उन्होंने ऐसा व्यवहार किया जैसे कि कुछ हुआ ही नहीं हो। चूंकि आरोपी भी उसी गांव से हैं, हम पर पंचायत के बुजुर्गों का बहुत दबाव था कि इस मामले को पुलिस के पास न ले जाएं क्योंकि इससे गांव की बदनामी होगी। स्थानीय एसएचओ समझौता कराने पर अड़े हुए थे। इन सब के बीच बच्ची की तबियत लगातार बिगड़ती चली गई जिसके बाद हमने अपनी शिकायत के साथ बागपत के एसपी से संपर्क किया।”
बागपत के पुलिस अधीक्षक (एसपी) प्रताप गोपेंद्र यादव के मुताबिक, "अपराध कथित रूप से सबसे बड़े भाई द्वारा किया गया था, जो कक्षा 6 में पढ़ता है। हालांकि, पीड़िता के पिता ने उसके दो भाइयों का भी नाम लिया है, जो उस समय समूह में शामिल थे। वे शामिल हैं या नहीं, यह जांच का विषय है।"
एसपी ने बताया कि, "आईपीसी की धारा 376 (दुष्कर्म) और पोक्सो एक्ट के तहत तीनों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है। हमने लड़की को मंगलवार को मेडिकल परीक्षण के लिए भेजा और रिपोर्ट का इंतजार है। एक बार जब वह स्थिर हालत में होगी तो हम अदालत में उसका बयान दर्ज करवाएंगे और आगे की कार्रवाई की जाएगी।" उन्होंने कहा, "मैंने पुलिस की लापरवाही की जांच के लिए सर्कल ऑफिसर ओमपाल सिंह को निर्देश दिया है। एसएचओ नरेश कुमार को इस मामले में समझौता नहीं करना चाहिए था। उन्हें इस गलत कृत्य को अंजाम देने वाले सभी आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज करना चाहिए था।"