राजस्थान में कोटा जिले में स्थित जे.के लोन अस्पताल में इस एक महीने के अंदर 77 बच्चों की मौत हो चुकी है। यही नहीं अस्पताल में 48 घंटों के अंदर 10 नवजात बच्चों की मौत हो चुकी है। इस घटना के बाद भी अस्पताल प्रशासन इन आकड़ों को नार्मल बता रहा है। अस्पताल प्रशासन का मानना है कि बच्चों की हुई मौत में किसी भी प्रकार की कोई भी लापरवाही नहीं बरती गई है।
उपरोक्त घटना की जांच के लिए अस्पताल प्रशासन ने एक कमेटी गठित की गई थी। जिसने जांच कर के बताया कि अस्पताल के सभी उपकरण सुचारु रूप से काम कर रहे है। इसलिए अस्पताल की तरफ से लापरवाही का कोई सवाल ही नहीं उठता है।
अपनी इस रिपोर्ट में अस्पताल ने बताया कि "पिछले दो दिन में जिन 10 बच्चों की मौत हुई है उनकी स्थिति काफी गंभीर थी और वे वेंटिलेटर पर थे। साथ ही 23 और 24 दिसंबर को जिन 5 नवजात शिशुओं की मौत हुई वे सिर्फ एक दिन के थे और भर्ती करने के कुछ ही घंटों के अंदर उन्होंने आखिरी सांस ली। वे हाइपॉक्सिक इस्केमिक इंसेफ्लोपैथी से पीड़ित थे।"
रिपोर्ट में आगे कहा गया "23 दिसंबर को पांच महीने के बच्चे की गंभीर निमोनिया की वजह से मौत हुई। जबकि सात साल के एक बच्चे की एक्यूट रेस्पिरटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम यानी सांस लेने में दिक्कत की वजह से मौत हुई। उसी दिन एक डेढ़ महीने के बच्चे की मौत भी हो गई जो जन्म से ही दिल की बीमारी से पीड़ित था। इन सब के अलावा दो महीने के बच्चे की गंभीर एस्पिरेशन निमोनिया और एक अन्य डेढ़ महीने के बच्चे की ऐस्पिरेशन सीजर डिसऑर्डर की वजह से मौत हो गई।"
इस पूरे मामले में अस्पताल अधीक्षक डॉ. एसएल मीणा ने जानकरी दी है कि "जांच के बाद सामने आया कि 10 बच्चों की मौत नॉर्मल थी न कि अस्पताल प्रशासन की लापरवाही की वजह से हुई।"